पापा की लाडली परी

 पापा की परी 



बेटी | बेटी ये सिर्फ नाम नहीं है बल्कि एक पिता के लिए उसकी ख़ुशी और जिंदगी भी है | मेरा मानना तो ये है की इस दुनिया में बेटी और पिता का रिश्ता सबसे अच्छा होता है | इस रिश्ते के आगे सभी रिश्ते फ़ैल है | बेटी हमेसा पिता की परी होती है | एक पिता किसी और बच्चे से प्यार करे या ना करे लेकिन बेटी अपने पिता की जान होती है | बेटी अपने पिता की मुस्कराहट होती है | 


पिता और बेटी का रिश्ता ही अलग होता है दोस्तों | ये दोनों एक दुसरे की आँखों में आंशु नहीं देख सकते | जब पिता ऑफिस से घर थका हुआ आता है तो उस पिता की सारी थकावट बेटी को देखकर दूर हो जाती है | जब बेटी दोड़ती हुई अपने पापा के पास आती है और गले लग जाती है और कहती है आज ऑफिस से इतना लेट क्यों आये|   

एक दिन पिता ने अपनी बेटी से कहा आज ऑफिस से आते हुए तुम्हारे लिए में बाज़ार से क्या लेकर आओ | बेटी बहुत खुश हुई और सोचने लगी | फिर उसने जो माँगा शायद किसी बेटे ने नहीं माँगा होगा | बेटी ने कहा पापा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस आप ऑफिस से जल्दी घर आना | 

जबतक पिता ऑफिस से घर समय पर नहीं आता बेटी तबतक खाना नहीं खाती और वो अपने पिता का इंतजार करती रहती है और पापा से रूठ भी जाती है | कभी कभी तो पापा को डाट भी देती है | बेटी का डाटना और पिता का मुस्कुराना ये प्यार कही देखने को नहीं मिलता | लेकिन ये रिश्ता सिर्फ कुछ सालो तक ही रहता है उसके बाद बेटी कब बड़ी और शादी के लायक हो जाती है पता ही नहीं चलता | अब पिता को लगता है ये मुझे छोड़ कर चली जाएगी |  




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