होलिका दहन की कहानी
भारत में अनेक त्योहार मनाये जाते है | भारत में हर महीने में कोई ना कोई त्यौहार आ ही जाता है | यहाँ अलग अलग जाति के लोग भिन्न भिन्न त्यौहार को बड़े उत्साह से मानते है और इन्ही सभी त्यौहारो में से एक त्यौहार है “होली”. भारत में होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है |
हर
त्यौहार की अपनी एक कहानी व एक वजह होती है, जो धार्मिक मान्यताओ पर आधारित है
| एक
हिरन्याक्श्यप नाम का राजा था, वह अपने आप
को बहुत शक्तिशाली और समझदार समझता था, इसलिए वह देवताओं से नफरत करता
था और भगवान विष्णु का नाम तो सुनना भी पसंद नहीं था, भगवान
से बहुत नफरत करता था | लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का
सच्चा और परम भक्त था |
यह बात हिरन्याक्श्यप को बिलकुल
पसंद नहीं थी की उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करे और उनका नाम ले | वह अपने पुत्र
प्रह्लाद को खूब डराता था और भगवान विष्णु की पूजा और नाम ना लेने से रोकता था, पर
प्रह्लाद अपने पिता की एक नहीं सुनता था, वह अपने भगवान की उपासना में लीन रहता था | एक दिन
हिरन्याक्श्यप अपने पुत्र प्रह्लाद से परेशान होकर एक योजना बनाई |
राजा हिरन्याक्श्यप की एक बहन थी
जिसका नाम होलिका था | होलिका को वरदान प्राप्त था की आग होलिका को कभी जला
नहीं पायेगी | राजा हिरन्याक्श्यप ने अपनी ही बहन
को अग्नि पर प्रह्लाद को लेकर बेठने को बोल दिया | प्रह्लाद
अपनी बुआ के साथ अग्नि पर बैठ गया और भगवान की उपासना करने लगा तभी अचानक होलिका
जलने लगी |
आकाश से एक आवाज आई और होलिका को याद दिलाया गया की अगर तुम अपने वरदान का गलत उपयोग करोगी तो खुद जलकर भस्म हो जाओगी | आखिर में होलिका भस्म हो गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ | अग्नि प्रह्लाद का कुछ भी नहीं बिगाड सकी |
ये देखकर लोगो को बहुत ख़ुशी हुई और प्रजा खुशिया मानाने लगी और इस दिन को होलिका देहन के नाम से मनाया जाता है और उसके अगले दिन लोग रंगों से खेलते है | उस दिन से होली मनाई जाने लगी | ये होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि बहुत से देशो में भी मानते है |
1 टिप्पणियाँ
Thanks
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